मनुष्य

मनुष्य

मनुष्य जब संसार से जाता है ,
तो भलाई या बुराई ही ,
साथ ले जाता है।

Kabir

मनुष्य

मनुष्य

केवल वही मनुष्य सब की,
उपेक्षा उत्तम रूप से करता है ,
जो पूर्णतया निस्वार्थ है ,
जिसे ना धन का लालच ,
ना कीर्ति का और ना ,
अन्य किसी वस्तु का है ।

Swami Vivekanand

एक क्षण में

एक क्षण में

मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके ,
उतना नही थकता है ,
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में,
ही थक जाता है I

BK SHIVANI'

मनुष्य

मनुष्य

मनुष्य अपने विश्वास से ,
निर्मित होता है ,
जैसा वो विश्वास करता है ,
वैसा वो बन जाता है I
Shrimad Bhagwad Gita

विचारवान व संस्कारवान मनुष्य

विचारवान व संस्कारवान मनुष्य

विचारवान व संस्कारवान मनुष्य ही ,
अमीर व महान होता है ,
तथा विचारहीन मनुष्य कंगाल ,
और दरिद्र होता है I
Baba Ramdev

मनुष्य

मनुष्य

अपने स्थान पर बने रहने से ,
ही मनुष्य पूजा जाता है।
Chanakya